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No Bag Day क्या है और ये क्यों है जरूरी? नई शिक्षा नीति में बच्चों को मिलेगा असली जिंदगी का पाठ

नो बैग डे यानी ऐसा दिन जब स्कूल में बच्चे बिना बस्ते और किताबों के आएंगे. नई शिक्षा नीति (NEP) 2020 के तहत कक्षा 6 से 8 तक के बच्चों के लिए यह व्यवस्था की गई है ताकि वे सिर्फ किताबी ज्ञान नहीं, बल्कि व्यावसायिक कौशल (vocational skills) स्थानीय हुनर, और रचनात्मक गतिविधियों से सीख सकें.

No Bag Day: भारत की नई शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) अब बच्चों की पढ़ाई को सिर्फ किताबों तक सीमित नहीं रखना चाहती। इसी सोच के साथ सरकार ने एक शानदार पहल शुरू की है 'नो बैग डे', यानी ऐसा दिन जब बच्चे स्कूल तो जाएंगे, लेकिन किताबों और बस्ते के बिना. इसका मकसद है बच्चों को सीखने का ऐसा मौका देना जो मज़ेदार, तनावमुक्त और जीवन से जुड़ा हुआ हो.

क्या है नो बैग डे?

नो बैग डे का मतलब है कि किसी खास दिन पर छात्र अपने स्कूल बैग और किताबें लेकर नहीं आएंगे. उस दिन स्कूल में पढ़ाई का तरीका बिलकुल अलग होगा. बच्चे कला, खेल, क्विज़, नृत्य, नाटक, फील्ड विज़िट्स और व्यावसायिक (वोकेशनल) प्रशिक्षण जैसी गतिविधियों में भाग लेंगे. इस दिन रटने की बजाय, बच्चों को चीज़ों को खुद करके सीखने का मौका मिलेगा.

NEP 2020 में नो बैग डे से जुड़े खास प्रावधान:

कक्षा 6 से 8 के लिए 'बैगलेस पीरियड'

इन कक्षाओं के छात्र साल में कम से कम 10 दिन ऐसे बिताएंगे जब वे स्थानीय कारीगरों जैसे बढ़ई, माली, कुम्हार, चित्रकार आदि के साथ काम करेंगे. इससे उन्हें हाथों से काम करने का अनुभव मिलेगा.

कक्षा 6 से 12 तक के लिए वोकेशनल एक्सपोज़र

छात्रों को उनकी रुचि के अनुसार हॉलिडे इंटर्नशिप या अन्य व्यावसायिक गतिविधियों में भाग लेने का मौका मिलेगा, जिससे उनका करियर और स्किल सेट मजबूत होगा.

प्रैक्टिकल और स्किल-बेस्ड करिकुलम

NCERT ऐसे पाठ्यक्रम बना रहा है जो थ्योरी नहीं, बल्कि अभ्यास पर आधारित होंगेइससे छात्र चीज़ों को बेहतर तरीके से समझ सकेंगे.

पूरे साल में कई 'नो बैग डे'

स्कूलों को साल में कई बार 'नो बैग डे' आयोजित करने की सलाह दी गई है, जिसमें कला, खेल, सांस्कृतिक कार्यक्रम और क्राफ्ट वर्क जैसे सेशन होंगे.

फील्ड विज़िट और सांस्कृतिक शिक्षा

छात्रों को ऐतिहासिक और शैक्षणिक स्थलों की सैर कराई जाएगी ताकि वे कक्षा में पढ़ी चीज़ों को हकीकत से जोड़कर देख सकें.

स्कूल बैग का बोझ कम करना

अब NCERT, SCERT और स्कूल मिलकर इस बात पर काम कर रहे हैं कि बच्चों के बैग का वजन कैसे कम किया जाए, ताकि उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर असरपड़े.

देशभर में कैसे हो रहा है लागू?

  1. दिल्ली: सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में हर साल 10 नो बैग डे तय किए गए हैं.
  2. मध्य प्रदेश: हर महीने एक दिन नो बैग डे रखा जा रहा है.
  3. उत्तर प्रदेश: हर शनिवारनो स्कूल बैग डेमनाया जा रहा है.
  4. राजस्थान: सरकारी स्कूलों में शनिवार को नो बैग डे होता है, जिसमें नैतिक शिक्षा, खेल और साहित्य पर जोर दिया जाता है.
  5. मणिपुर: कक्षा 1 से 8 तक के बच्चों के लिए हर शनिवार नो बैग डे अनिवार्य कर दिया गया है.
  6. महाराष्ट्र, हरियाणा और जम्मू-कश्मीर: यहां भी इस योजना को लागू करने की दिशा में तेजी से काम हो रहा है.

कुछ स्कूलों में ‘क्रिएटिव नो बैग डे’ का जश्न

चेन्नई के एक कॉलेज में छात्रों ने नो बैग डे को अनोखे अंदाज़ में मनाया. वे किताबों की जगह प्रेशर कुकर, बाल्टी और सूटकेस में सामान लाकर लाए. इससे ये संदेश दिया गया कि पढ़ाई सिर्फ किताबों से नहीं, बल्कि खुले मन और रचनात्मकता से भी हो सकती है.

नो बैग डे क्यों है ज़रूरी?

  • बच्चों पर मानसिक और शारीरिक बोझ कम करता है.
  • उन्हें रचनात्मक सोचने, सवाल पूछने और प्रयोग करने के लिए प्रेरित करता है.
  • स्थानीय कौशल और शिल्प की पहचान कराता है.
  • उन्हें करियर विकल्पों से जल्दी परिचित कराता है.
  • स्कूल को एक मज़ेदार और सीखने वाला स्थान बनाता है

नो बैग डे सिर्फ एक दिन की छुट्टी नहीं, बल्कि पढ़ाई की परिभाषा को बदलने का एक प्रयास है. ये छात्रों को यह सिखाने की दिशा में एक कदम है कि सीखना केवल किताबों से नहीं, जीवन से भी होता है. आने वाले समय में यह पहल भारत के शिक्षा ढांचे को अधिक सशक्त, व्यावहारिक और रुचिकर बना सकती है.

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