कर्ज, क्राइसिस और कटौती! पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर भारत का 'वॉटर स्ट्राइक', पढ़िए एक फेल्ड स्टेट की Dark Story
Pakistan Economic Crisis: पाकिस्तान एक बार फिर गंभीर आर्थिक संकट में फंस गया है। प्रधानमंत्री शाहबाज़ शरीफ़ खुद मान चुके हैं कि देश अब भीख का कटोरा लेकर दुनिया के सामने नहीं जाना चाहता, लेकिन IMF की शर्तों और भारत की सख्त नीतियों ने हालात और बिगाड़ दिए हैं. 7 अरब डॉलर के IMF पैकेज के बदले पाकिस्तान को टैक्स बढ़ाने, बिजली और गैस दरें सुधारने जैसे 11 कड़े कदम उठाने होंगे.

Pakistan Economic Crisis: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने हाल ही में अपनी एक स्पीच में देश की आर्थिक स्थिति को लेकर जो कहा, उसने पाकिस्तान की गहरी आर्थिक कमजोरी को फिर से उजागर कर दिया है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को दुनिया के सामने 'भीख का कटोरा' लेकर नहीं जाना चाहिए. उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि अब वक्त है कि पाकिस्तान वित्तीय सहायता मांगने की बजाय विदेशी निवेश को आकर्षित करे.
लेकिन पाकिस्तान का इतिहास बताता है कि उसका बजट वर्षों से बेलआउट पैकेज और विदेशी कर्ज पर ही निर्भर रहा है. चाहे IMF हो, वर्ल्ड बैंक या फिर सऊदी अरब और चीन जैसे मित्र देश — सबने पाकिस्तान को कर्ज दिया लेकिन आर्थिक सुधार की दिशा में पाकिस्तान ने कभी गंभीर कदम नहीं उठाए. अपना सारा पैसा आतंकवाद में झोंकने वाला पाकिस्तान अब एक फेल्ड स्टेट बन चुका है, जिसके लिए अब शायद ही इससे उबरना संभव हो पाएगा.
जीडीपी ग्रोथ लक्ष्य से पिछड़ी
हाल ही में पाकिस्तान की नेशनल अकाउंट्स कमेटी ने बताया कि देश की वित्तीय वर्ष 2024-25 की GDP ग्रोथ सिर्फ 2.68% रही, जबकि सरकार ने 3.6% का लक्ष्य तय किया था. इसका सीधा अर्थ है कि देश की आर्थिक रफ्तार लगातार धीमी हो रही है और लक्ष्य के आसपास भी नहीं पहुंच पा रही.
IMF बेलआउट और कड़ी शर्तें
पाकिस्तान की इस समय की आर्थिक स्थिति इतनी नाजुक है कि उसे IMF के $7 बिलियन डॉलर के राहत पैकेज के सहारे ही कुछ राहत मिल रही है. लेकिन IMF ने इस मदद के बदले में पाकिस्तान से संरचनात्मक सुधारों की लंबी लिस्ट मांग ली है. इसमें शामिल हैं:
- बिजली दरों में भारी बढ़ोतरी
- अतिरिक्त टैक्स लगाना
- खेती पर टैक्स लागू करना
- गैस दरों में बदलाव
- पुरानी गाड़ियों के आयात पर छूट
- प्राइवेट टेक्नोलॉजी ज़ोन की टैक्स छूट खत्म करना
- 1.07 ट्रिलियन रुपये विकास कार्यों के लिए सुरक्षित करना
IMF ने साफ कर दिया है कि अगर पाकिस्तान को आगे कर्ज चाहिए तो उसे इन शर्तों को मानना ही होगा और पाकिस्तान के लिए इस शर्त को मानने के अलावा और कोई दुसरा उपाय नहीं है.
अगले साल फिर कर्ज लेने की तैयारी
पाकिस्तान सरकार 2025-26 के वित्तीय वर्ष में $4.9 बिलियन डॉलर की बाहरी फंडिंग जुटाना चाहती है. इसमें से $2.64 बिलियन डॉलर केवल शॉर्ट टर्म कमर्शियल बैंक लोन के रूप में जुटाए जाने की योजना है. यानी, पाकिस्तान फिर एक बार अपने कर्ज के पहाड़ को और ऊंचा करने जा रहा है.
भारत की कार्रवाई ने बढ़ाई मुश्किलें
पाकिस्तान की बदहाल अर्थव्यवस्था वैसे ही भारी संकट में है, लेकिन भारत की ओर से उठाए गए सख्त कदमों ने पाकिस्तान की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं. विशेष रूप से पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कूटनीतिक और आर्थिक दोनों स्तरों पर चोट की है. रत की रणनीति साफ है — पाकिस्तान की फंडिंग और पानी दोनों को सीमित करना.
सिंधु जल संधि पर भारत का प्रहार
भारत ने सिंधु जल संधि के तहत पाकिस्तान को मिलने वाले पानी पर बड़ी कार्रवाई की है। इस समय पाकिस्तान की कृषि व्यवस्था पूरी तरह इंडस, झेलम और चिनाब नदियों पर निर्भर है। लेकिन भारत ने:
- चिनाब नदी के प्रवाह को नियंत्रित कर दिया है
- बघलिहार और सलाल बांधों से पानी की रिहाई सीमित कर दी है
- मंगला और टरबेला डैम में पानी का स्तर 50% तक गिर गया है
- पाकिस्तान में 21% पानी की कमी दर्ज की गई है
इसका सीधा असर पाकिस्तान की खरीफ फसल (ग्रीष्मकालीन) की बुआई पर पड़ा है. जल प्राधिकरण IRSA ने चेतावनी दी है कि सिंध और पंजाब में खेतों तक पानी नहीं पहुंचेगा, जिससे फसलें खराब हो सकती हैं और किसान पूरी तरह टूट सकते हैं.
बाढ़ से निपटने की क्षमता भी कमजोर
भारत द्वारा जल प्रवाह सीमित करने से पाकिस्तान की बाढ़ प्रबंधन क्षमता भी कमजोर हुई है। दरअसल, पाकिस्तान की जल प्रणाली का अधिकांश हिस्सा भारत में ही स्थित है और जब मानसून के दौरान भारत जल को रोक लेता है तो पाकिस्तान में या तो सूखा पड़ता है या बाढ़ नियंत्रण असंभव हो जाता है.
FATF में फिर से ग्रे लिस्ट में डालने की तैयारी
भारत अब पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय फंडिंग रोकने के लिए वैश्विक संस्थाओं पर दबाव बना रहा है. IMF बेलआउट पैकेज का पहले ही विरोध किया जा चुका है. अब भारत की कोशिश है कि:
- वर्ल्ड बैंक से मिलने वाले नई फंडिंग को रोका जाए
- पाकिस्तान को फिर से FATF की ग्रे लिस्ट में डाला जाए
पाकिस्तान 2022 में FATF ग्रे लिस्ट से बाहर आया था, जिससे उसकी साख थोड़ी सुधरी थी. लेकिन अगर वो दोबारा इसमें आ गया, तो उसे कर्ज और निवेश मिलना बेहद मुश्किल हो जाएगा.
पाकिस्तान के लिए हर तरफ मुश्किलें
एक तरफ IMF की शर्तें, दूसरी तरफ भारत की सख्ती, और तीसरी ओर पानी का संकट — इन सब ने पाकिस्तान को पूरी तरह अंतरराष्ट्रीय दबाव और आंतरिक अस्थिरता की स्थिति में ला खड़ा किया है.
प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भले ही दुनिया से 'भीख का कटोरा' लेकर न जाने की बात कही हो, लेकिन हकीकत यह है कि बिना कर्ज और मदद के पाकिस्तान एक कदम भी आगे नहीं बढ़ा सकता.
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