3 साइक्लोन, 4 महाद्वीप, 50000 किमी... कैसे 2 भारतीय नौसेना महिला अधिकारियों ने पूरी की ऐतिहासिक यात्रा? | देखिए VIDEO
Inspiring Story: भारतीय नौसेना की दो महिला अफसर—लेफ्टिनेंट कमांडर रूपा ए. और दिलना के. ने इतिहास रचते हुए INSV टारिणी पर सवार होकर दुनिया की समुद्री परिक्रमा पूरी की. इस आठ महीने की यात्रा में उन्होंने तीन महासागर, चार महाद्वीप और 25,400 नॉटिकल मील का सफर सिर्फ पवनचालित नौका से तय किया. यह पहली बार है जब दो भारतीय महिलाएं बिना किसी सहायक दल के पूरी दुनिया की समुद्री यात्रा पूरी करके लौटी हैं.

Navika Sagar Parikrama Story: समंदर… जहां तक नजर जाए सिर्फ पानी... न किनारा, न ठहराव... लहरों की उफान, बादलों की गड़गड़ाहट और बीच समुद्र में तूफानों की चुनौती लेकिन इन्हीं अनदेखे रास्तों पर निकल पड़ीं भारतीय नौसेना की दो जांबाज़ महिलाएं—लेफ्टिनेंट कमांडर रूपा ए. और लेफ्टिनेंट कमांडर दिलना के.
ये कहानी है दो दिलों की, जिन्हें दुनिया अब #DilRoo के नाम से जानती है. ये वही बेटियां हैं जिन्होंने आठ महीने तक लगातार तीन महासागरों और चार महाद्वीपों की यात्रा की. INSV Tarini नाम की नौका पर सवार होकर, उन्होंने सिर्फ हवा की मदद से 25,400 नॉटिकल मील (लगभग 50,000 किलोमीटर) की यात्रा पूरी की. न कोई इंजन, न कोई सहारा—सिर्फ हौसले, जज़्बे और देशभक्ति का साहस.
In a remarkable milestone for maritime exploration, Lieutenant Commander Dilna K and Lieutenant Commander Roopa A aboard #INSVTarini crossed Point Nemo on 30 Jan 2025, during Navika Sagar Parikrama II.
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जब समंदर बना इम्तिहान…
ये यात्रा अक्टूबर 2024 में गोवा से शुरू हुई थी. सफर में तूफान थे, बर्फीली हवाएं थीं और था अनजान जलमार्ग. लेकिन #DilRoo ने हार नहीं मानी. सबसे चुनौतीपूर्ण पड़ाव था न्यूजीलैंड से फॉकलैंड द्वीप का... यहां उन्होंने तीन बड़े समुद्री चक्रवातों का सामना किया, 'ड्रेक पैसेज' पार किया और 'केप हॉर्न' का खतरनाक मोड़ लिया—जहां लहरें 5 मीटर से ऊंची उठती हैं और तापमान जमाव बिंदु से नीचे चला जाता है.
यही नहीं उन्होंने 'प्वाइंट नीमो' पार किया—धरती का वो हिस्सा जो हर भूमि से सबसे दूर है. इन हालातों में उन्होंने साबित कर दिया कि भारतीय महिलाएं किसी भी चुनौती से पीछे नहीं हटतीं.
सिर्फ नौकायन नहीं, एक मैसेज
इस मिशन का नाम था Navika Sagar Parikrama—जिसका अर्थ है 'समंदर की परिक्रमा'... ये केवल यात्रा नहीं थी, बल्कि भारत की 'नारी शक्ति' का प्रदर्शन थी. उन्होंने फ्रेमंटल (ऑस्ट्रेलिया), लिट्लटन (न्यूजीलैंड), केप टाउन (दक्षिण अफ्रीका) और पोर्ट स्टेनली (फॉकलैंड द्वीप) जैसे ठिकानों पर भारतीय समुदायों, संसद सदस्यों और स्कूलों से मुलाकात की. ऑस्ट्रेलियाई संसद में इन्हें विशेष अतिथि के रूप में बुलाया गया.
जब समंदर बोला—'शाबाश बेटियों!'
29 मई 2025 को जब वे गोवा लौटेंगी तो रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, नौसेना प्रमुख और सैकड़ों लोगों की तालियों से उनका स्वागत होगा. उनके सम्मान में 'सेल परेड' का आयोजन किया जाएगा. ये सिर्फ वापसी नहीं, बल्कि एक ऐतिहासिक उपलब्धि का उत्सव होगा.
ये कहानी क्यों जरूरी है?
INSV Tarini का यह दूसरा वैश्विक अभियान है, लेकिन पहली बार दो भारतीय महिलाएं अकेले, बिना किसी मदद के, पूरी दुनिया का समंदर पार कर वापस लौट रही हैं. इससे पहले 2017–18 में भी एक महिला दल ने यह किया था, लेकिन तब टीम में 6 लोग थे.
यह सिर्फ एक नौकायन अभियान नहीं, बल्कि हर भारतीय लड़की के सपनों की उड़ान है. यह बताता है कि समंदर जितना भी गहरा क्यों न हो, अगर इरादा मजबूत हो तो कोई भी किनारा दूर नहीं.
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