कभी पक्के दोस्त हुआ करते थे ईरान और इजरायल! फिर कैसे बन गए परम मित्र से कट्टर शत्रु? पढ़िए पूरी स्टोरी
Israel Iran Conflict: 13 जून 2025 को इज़राइल ने ईरान के परमाणु ठिकानों और सैन्य ठिकानों पर हमला कर कई परमाणु वैज्ञानिकों और IRGC के अफसरों को मार गिराया. इसके जवाब में ईरान ने बैलिस्टिक मिसाइलों से इज़राइल पर हमला किया, जिससे तेल अवीव तक मिसाइलें जा पहुंचीं और आयरन डोम सुरक्षा तंत्र भी नाकाम रहा.

Israel Iran Conflict: 13 जून की सुबह इज़राइल ने ईरान के कई अहम परमाणु ठिकानों और सैन्य अड्डों पर हमला बोला. इस हमले में ईरान के कई परमाणु वैज्ञानिकों और इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) के वरिष्ठ अधिकारियों की मौत हो गई. तेहरान के दावों के मुताबिक इस हमले में आम नागरिकों की भी जान गई है.
यह हमला ऐसे समय हुआ है जब ईरान और अमेरिका के बीच यूरेनियम संवर्धन को लेकर बातचीत हो रही थी. ईरान कहता है कि उसका परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण है, जबकि इज़राइल इसे अपने वजूद के लिए बड़ा खतरा मानता है. लेकिन क्या आपको पता है कि एक समय था जब दोनों देश एक दूसरे के परम मित्र हुआ करते थे.
पुरानी दोस्ती का बदला दुश्मनी में
आज जो देश एक-दूसरे के खून के प्यासे हैं, वे कभी दोस्त भी थे. 1948 में जब इज़रायल बना, तब ज्यादातर मुस्लिम देशों ने उसे मान्यता नहीं दी। मगर शिया बहुल ईरान और तुर्की ने इज़रायल को एक देश के रूप में स्वीकार कर लिया.
तब अमेरिका से दोनों देशों के गहरे रिश्ते थे. ईरान के शाह मोहम्मद रजा पहलवी अमेरिका के करीबी माने जाते थे. उस समय इज़रायल और ईरान के बीच व्यापार, खुफिया जानकारी का आदान-प्रदान और तेल की सप्लाई तक होती थी.
लेकिन 1979 की इस्लामी क्रांति के बाद सब कुछ बदल गया. शाह का तख्तापलट हुआ और अयातुल्ला खुमैनी के नेतृत्व में इस्लामी गणराज्य बना. इज़रायल के प्रति रुख पूरी तरह बदल गया. इज़रायल को 'इस्लाम का दुश्मन' और 'लिटिल सैटन' (छोटा शैतान) घोषित कर दिया गया.
ईरान के प्रॉक्सी – हिज़बुल्लाह, हमास, हौथी
इसके बाद ईरान ने इज़रायल के खिलाफ अप्रत्यक्ष युद्ध छेड़ दिया. लेबनान में हिज़बुल्लाह, गाज़ा में हमास और यमन में हौथी विद्रोहियों को हथियार, पैसा और ट्रेनिंग देना शुरू कर दिया.
1983 में हिज़बुल्लाह ने इज़राइली सेना के ठिकाने पर आत्मघाती हमला किया. 2000 में अयातुल्ला खामेनेई ने इज़राइल को 'कैंसर का ट्यूमर' कह डाला.
2023 के हमास हमले के बाद से इज़रायल लगातार गाज़ा में सैन्य अभियान चला रहा है. ईरान ने भी इज़रायल पर मिसाइल दागे थे, जिसका जवाब इज़राइल ने सीधा तेहरान पर हमले से दिया. अब जब इज़रायल ने ईरान के अंदर घुसकर परमाणु ठिकानों पर हमला किया है, तो तेहरान ने भी सीधे इज़रायल पर मिसाइलें दागीं.
आयतुल्ला खामेनेई की मौत से होगा इस जंग का अंत - नेतन्याहू का ऐलान
यह जंग अब अपने पांचवें दिन में प्रवेश कर चुकी है और खत्म होने के कोई संकेत नहीं दिख रहे. इसी बीच इज़रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने एक चौंकाने वाला बयान देते हुए कहा कि इस युद्ध का अंत तभी होगा जब ईरान के सर्वोच्च नेता आयतुल्ला अली खामेनेई मारे जाएंगे.
इस बार का संघर्ष क्यों है सबसे खतरनाक?
अब तक ईरान-इज़रायल की दुश्मनी 'प्रॉक्सी वॉर' तक सीमित थी. लेकिन इस बार दोनों देशों की सेनाएं सीधे भिड़ गई हैं. तेल अवीव पर ईरानी मिसाइल गिरना और तेहरान में इज़रायली बमबारी इस बात का संकेत है कि यह संघर्ष अब 'सीमित युद्ध' की सीमा लांघ चुका है.
नेतन्याहू के हालिया बयान से साफ है कि इज़रायल पीछे हटने के मूड में नहीं है. उधर ईरान ने कहा है कि इस हमले ने 'राजनयिक प्रयासों की हत्या' कर दी है. दोनों देशों के बीच अब 'शांति वार्ता' की गुंजाइश खत्म सी दिख रही है.
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