ब्रह्मोस बनेगा ब्रह्मांड का ब्रह्मास्त्र, थर्रा जाएगा चीन-पाकिस्तान, जानिए भारत कैसे कर रहा इसका अपग्रेडेशन | 5 POINTS
BrahMos Supersonic Cruise Missile: भारत ब्रह्मोस मिसाइल का दायरा और क्षमता बढ़ाने के लिए नए वर्ज़न पर तेज़ी से काम कर रहा है, जिसमें 800 किमी रेंज, पनडुब्बी और फाइटर जेट से लॉन्च होने वाले वेरिएंट शामिल हैं. हाइपरसोनिक और हल्के ब्रह्मोस वर्ज़न भी डेवलप हो रहे हैं, जिससे इसकी मारक क्षमता और लचीलापन और बढ़ेगा.

BrahMos Supersonic Cruise Missile: भारत के ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल की ताकत पाकिस्तान ने 'ऑपरेशन सिंदूर' में देखी है. यही कारण है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने खुद खुलासा किया है कि भारत ने हाल ही में किए गए सैन्य अभियान 'ऑपरेशन सिंदूर' में ब्रह्मोस मिसाइल का इस्तेमाल किया था.
ब्रह्मोस से पाकिस्तान को हिलाने के बाद भारत से ब्रह्मांड में सबसे शक्तिशाली बनाने की कोशिश में लगा है. ब्रह्मोस एक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है जो ध्वनि की गति से तीन गुना अधिक गति से उड़ती है और 400 किलोमीटर दूर स्थित लक्ष्य पर प्रहार कर सकती है.
भारतीय सेना की ब्रह्मोस लॉन्च यूनिट भी हाई अलर्ट पर थीं और मिसाइल से लैस भारतीय नौसेना के युद्धपोत भी पूरे तनाव के दौरान कार्रवाई के लिए तैयार थे. यह पहली बार नहीं था जब ब्रह्मोस मिसाइल ने पाकिस्तानी हवाई क्षेत्र में प्रवेश किया था - 2022 में आकस्मिक फायरिंग से पहले ही इसकी पहुंच और क्षमता का मैसेज पाकिस्तान को मिल चुका था.
ब्रह्मोस बनेगा ब्रह्मांड का ब्रह्मास्त्र
अब भारत ब्रह्मोस को ब्रह्मांड का ब्रह्मास्त्र बनाने की तैयारी में लगा है, जिसे लेकर काम चल रहा है. इन 5 Points में समझिए कैसे ब्रह्मोस की बढ़ेगी ताकत:
1. 800 किलोमीटर तक मार करने वाली ब्रह्मोस मिसाइल का निर्माण किया जा रहा है, जिससे इसकी पहुंच और ताकत दोनों बढ़ेंगी.
2. पनडुब्बी से दागी जाने वाली ब्रह्मोस मिसाइल का फिर से परीक्षण किया जाएगा और इसे भारत की पी75आई पनडुब्बी परियोजना में शामिल किया जाएगा.
3. राफेल और अन्य फाइटर जेट्स के लिए हल्की और छोटी ब्रह्मोस मिसाइल पर काम चल रहा है, ताकि यह अधिक विमानों में फिट हो सके.
4. हाइपरसोनिक ब्रह्मोस मिसाइल भी विकास के चरण में है, जो बेहद तेज़ होगी और दुश्मन की पकड़ से बाहर रहेगी.
5. भारत ने ब्रह्मोस मिसाइलें फिलीपींस को सौंप दी हैं और वियतनाम सहित कई दक्षिण-पूर्व एशियाई व मध्य-पूर्वी देश भी इस मिसाइल प्रणाली को खरीदने में रुचि दिखा रहे हैं.