चुनौतियां और सीमाएं लेकिन दुनिया देखेगी भारत का शौर्य! कैसा होगा विकसित भारत का रक्षा बजट?
India Defence Budget: भारत का रक्षा बजट 2047 तक करीब पांच गुना बढ़कर ₹31.7 लाख करोड़ हो सकता है. देश का लक्ष्य 2032 तक रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भर बनना, 2038 तक शीर्ष 5 निर्यातकों में आना और 2045 तक अत्याधुनिक तकनीक में वैश्विक नेतृत्व हासिल करना है. हालांकि, इसके लिए बजट सीमाएं, विदेशी तकनीक पर निर्भरता और स्किल्ड मैनपावर की कमी जैसी कई चुनौतियां भी हैं.

India Defence Budget: आने वाले 20 सालों में भारत अपनी सेना को और मज़बूत और आधुनिक बनाने के साथ-साथ दुनिया के सबसे बड़े हथियार बनाने और बेचने वाले देशों में शामिल होने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। CII और KPMG India की एक रिपोर्ट 'आत्मनिर्भर, अग्रणी और अतुल्य भारत 2047' में इस बड़े और महत्त्वाकांक्षी प्लान की पूरी तस्वीर सामने आई है.
अपने पड़ोसी के साथ शांति स्थापित करने के लिए भारत के लिए ये बेहद जरूरी हो गया है कि रक्षा तौर पर बेहद मज़बूत और आधुनिक बने. इसी तर्ज पर भारत लगातार काम भी कर रहा है. भारत कभी भी किसी पर आक्रमण या कब्जा करने की चाहत नहीं रखता है, लेकिव पाकिस्तान और चीन जैसे दुश्मनों से रक्षा के लिए ये जरूरी है.
₹31.7 लाख करोड़ होगा भारत का रक्षा बजट
इस रिपोर्ट के मुताबिक, भारत का रक्षा बजट 2047 तक पांच गुना बढ़कर ₹31.7 लाख करोड़ तक पहुंच सकता है, जो 2025-26 में अनुमानित ₹6.81 लाख करोड़ है. यह बजट वृद्धि भारत की सुरक्षा, तकनीकी आत्मनिर्भरता और वैश्विक रणनीतिक स्थिति को मजबूत करने के लिए बेहद अहम मानी जा रही है.
2047 तक के मुख्य लक्ष्यों की रूपरेखा:
1. 2032 तक रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता
भारत विदेशी हथियारों और तकनीकों पर अपनी निर्भरता कम करके घरेलू रक्षा उत्पादन और अनुसंधान पर ज़ोर देगा. इसके लिए स्टार्टअप्स, निजी उद्योग और रक्षा सार्वजनिक उपक्रमों की भागीदारी को बढ़ावा दिया जाएगा.
2. 2038 तक शीर्ष 5 रक्षा निर्यातकों में शामिल होना
भारत का लक्ष्य है कि वह आने वाले 15 सालों में अमेरिका, रूस और फ्रांस जैसे देशों की कतार में खड़ा हो. इसके लिए रक्षा निर्यात को ₹2.8 लाख करोड़ तक पहुंचाने का लक्ष्य है, जो 2024-25 में ₹30,000 करोड़ था.
3. 2045 तक उन्नत रक्षा तकनीकों में वैश्विक नेतृत्व
AI, क्वांटम कंप्यूटिंग, साइबर डिफेंस जैसे अत्याधुनिक क्षेत्रों में भारत को तकनीकी महाशक्ति बनाने के लिए रक्षा अनुसंधान और विकास (R&D) में खर्च को 10% तक बढ़ाया जाएगा.
रक्षा उद्योग में आने वाली बड़ी छलांग:
रक्षा उत्पादन: 2024-25 में ₹1.6 लाख करोड़ से बढ़कर 2047 तक ₹8.8 लाख करोड़ तक.
पूंजीगत व्यय: बजट में पूंजीगत व्यय का हिस्सा 27% से बढ़ाकर 40% तक किया जाएगा, ताकि सेना के आधुनिकीकरण और नई तकनीकों में निवेश हो सके.
R&D व्यय: रक्षा बजट में R&D का हिस्सा 4% से बढ़ाकर 8-10% तक किया जाएगा, जिससे भारत तकनीकी रूप से आत्मनिर्भर हो सके.
भारत की रक्षा नीति में बदलाव का संकेत
इस रिपोर्ट से यह स्पष्ट है कि भारत सिर्फ हथियार खरीदने वाला देश नहीं रहना चाहता, बल्कि अगली पीढ़ी की तकनीकों में नेतृत्वकारी भूमिका निभाना चाहता है. भारत का लक्ष्य एक ऐसा रक्षा तंत्र खड़ा करना है जो न केवल घरेलू ज़रूरतें पूरी करे, बल्कि दुनिया के अन्य देशों को भी अत्याधुनिक हथियारों और तकनीक की आपूर्ति कर सके.
चुनौतियां और समाधान:
हालांकि यह सफर आसान नहीं है. भारत को कुछ प्रमुख बाधाओं को पार करना होगा:
- बजटीय सीमाएं
- नियामक ढांचे की जटिलताएं
- आवश्यक तकनीक में आयात पर निर्भरता
- कुशल जनशक्ति की कमी
इसके लिए केंद्र सरकार को नीति स्तर पर तेज़ सुधार करने होंगे। निजी क्षेत्र, शिक्षा संस्थानों, स्टार्टअप्स और वैश्विक सहयोगियों को इस यात्रा में भागीदार बनाना होगा.
रक्षा क्षेत्र में अतुल्य भारत की ओर
भारत का 2047 का रक्षा विजन महज़ एक सपना नहीं, बल्कि रणनीतिक संकल्प है—जो देश को आत्मनिर्भर, अग्रणी और तकनीकी महाशक्ति बनाने की दिशा में निर्णायक भूमिका निभाएगा. आने वाले सालों में अगर यह योजना ज़मीनी स्तर पर सफल होती है, तो भारत न केवल अपनी सीमाओं की रक्षा करेगा, बल्कि विश्व मंच पर अपनी उपस्थिति को भी और मजबूती से दर्ज कराएगा.