क्या धरती पर दिन होने वाले हैं छोटे? वैज्ञानिकों ने दी चौंकाने वाली चेतावनी
वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि जुलाई और अगस्त 2025 में धरती की गति कुछ मिलीसेकंड तेज़ हो सकती है, जिससे दिन छोटे हो सकते हैं। 9 जुलाई, 22 जुलाई और 5 अगस्त को दिन 1.30 से 1.51 मिलीसेकंड तक छोटे हो सकते हैं.

Earth Spinning Faster: क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि दिन कुछ मिलीसेकंड छोटे हो जाएं? जी हां, वैज्ञानिकों का मानना है कि जुलाई और अगस्त 2025 में धरती की गति थोड़ी तेज़ हो सकती है, जिससे दिन कुछ मिलीसेकंड तक छोटे हो सकते हैं.
यह बदलाव इतना छोटा है कि आम लोग महसूस भी नहीं कर पाएंगे, लेकिन वैज्ञानिकों के लिए ये संकेत बहुत महत्वपूर्ण है। आइए समझते हैं पूरा मामला...
कब होंगे सबसे छोटे दिन?
लंदन यूनिवर्सिटी के एस्ट्रोफिजिसिस्ट ग्रहाम जोन्स के अनुसार, 9 जुलाई, 22 जुलाई और 5 अगस्त को धरती अपनी धुरी पर सामान्य से थोड़ी तेज़ी से घूम सकती है. इन तारीखों पर दिन की लंबाई 1.30, 1.38 और 1.51 मिलीसेकंड तक कम हो सकती है. यह बदलाव भले ही बेहद मामूली हो, लेकिन इसका सीधा असर उपग्रह, GPS सिस्टम और समय गणना पर पड़ सकता है.
क्यों बढ़ रही है धरती की रफ्तार?
धरती की स्पिन हमेशा स्थिर नहीं रहती. इसमें समय-समय पर कुछ मिलीसेकंड की तेज़ी या मंदी आती रहती है. वैज्ञानिकों ने पाया है कि 2020 के बाद से धरती की गति में थोड़ी तेज़ी आई है और इसकी कोई ठोस वजह फिलहाल समझ नहीं आई है.
क्या हैं संभावित कारण?
भूकंप और समुद्री हलचल से धरती का भार इधर-उधर होता है, जिससे स्पिन प्रभावित होती है. ग्लेशियर का पिघलना और पृथ्वी के अंदर की पिघली धातुएं भी संतुलन बदल देती हैं. एल-निनो जैसे मौसमीय घटनाएं, तेज़ हवाएं और महासागरीय धाराएं धरती की चाल में सूक्ष्म परिवर्तन ला सकती हैं.
अब समय में भी हो सकता है बदलाव?
धरती अगर तेज़ी से घूमती रही तो वैज्ञानिकों को समय की गणना में बदलाव करना पड़ सकता है. फिलहाल, एक दिन को 24 घंटे यानी 86,400 सेकंड माना जाता है. पर अगर धरती का रोटेशन और तेज़ हुआ तो 2029 तक लीप सेकेंड को हटाना पड़ सकता है, जो पहले कभी नहीं हुआ.
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्टैंडर्ड्स एंड टेक्नोलॉजी के वैज्ञानिक जुडा लेविन ने कहा कि हमें लगा था कि धरती धीरे-धीरे धीमी होती जाएगी. लेकिन यह तो उल्टा हो रहा है और यह बहुत चौंकाने वाला है.
धरती के इतिहास में ऐसा पहले भी हुआ है?
आपको जानकर हैरानी होगी कि धरती पहले 365 नहीं, बल्कि 490 से लेकर 372 दिनों में सूरज का एक चक्कर पूरा करती थी. समय के साथ चंद्रमा की गुरुत्वाकर्षण शक्ति के कारण धरती की गति धीमी हुई और हमने 24 घंटे का दिन पाया. लेकिन अब धरती फिर से तेज़ हो रही है, क्यों? इस रहस्य को सुलझाने के लिए वैज्ञानिकों की निगाहें पृथ्वी के अंदर और बाहर की ताकतों पर हैं.
धरती को समझना क्यों ज़रूरी है?
धरती का यह बदलाव हमें यह याद दिलाता है कि हमारा ग्रह सजीव और गतिशील है. हर छोटी गति, हर हलचल, चाहे वो समुद्र की लहरों में हो या धरती के कोर में हमारे समय, तकनीक और जीवन को प्रभावित कर सकती है.
हालांकि ये बदलाव बेहद सूक्ष्म हैं, पर वैज्ञानिकों के लिए ये संकेत गंभीर हैं.
यदि धरती की रफ्तार लगातार बढ़ती रही तो आने वाले वर्षों में हमारी समय-गणना प्रणाली में ऐतिहासिक बदलाव हो सकता है.
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