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महंगी गाड़ियां, सेक्स और करोड़ों की कमाई... चीन में बौद्ध भिक्षुओं के घोटाले उजागर

चीन ने बौद्ध मंदिरों और भिक्षुओं पर बड़ा एक्शन शुरू किया है। कई ताकतवर भिक्षुओं पर मंदिर के दान और फंड का गलत इस्तेमाल करके निजी संपत्ति बनाने के आरोप लगे हैं. दरअसल, चीन की टेंपल इकोनॉमी तेज़ी से बढ़ रही है और साल के अंत तक इसका आकार 100 अरब युआन तक पहुंचने की उम्मीद है.

China Shaolin Temple scandal 2025: चीन सरकार ने हाल ही में एक बड़ा कदम उठाते हुए उन शक्तिशाली बौद्ध भिक्षुओं पर शिकंजा कसना शुरू किया है, जिन पर मंदिरों के धन का दुरुपयोग करके निजी संपत्ति बनाने का आरोप है. यह कार्रवाई धार्मिक संस्थाओं को नियंत्रित करने और देश की तेजी से बढ़ती मंदिर अर्थव्यवस्था में पारदर्शिता लाने की दिशा में की जा रही है.

मंदिर अर्थव्यवस्था का बढ़ता दायरा

ब्रिटिश अख़बार The Guardian की रिपोर्ट के अनुसार, चीन की मंदिर अर्थव्यवस्था इस साल के अंत तक 100 अरब युआन तक पहुंचने की संभावना है. हालांकि, इस क्षेत्र का इतिहास काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा है. 1950 के दशक में कई मठों ने अपनी संपत्ति खो दी थी और 1960-70 के दशक में सांस्कृतिक क्रांति के दौरान अनेक मंदिरों को नुकसान पहुंचाया गया.

1980 के दशक में आर्थिक सुधारों के बाद मंदिरों ने फिर से लोकप्रियता पाई और इन्हें टिके रहने के लिए सरकार समर्थित पर्यटन पर निर्भर होना पड़ा. इसी दौर में शाओलिन मंदिर का नाम सबसे ज्यादा उभरा, जिसने खुद को एक विशाल कमाई का केंद्र बना लिया.

शाओलिन मंदिर के प्रमुख पर गाज

सबसे चर्चित मामला शाओलिन मठ के प्रमुख अभाट शी योंगशिन का है, जिन्हें सीईओ मॉन्क भी कहा जाता है. उन पर आरोप है कि उन्होंने 1,500 साल पुराने मठ को एक व्यावसायिक साम्राज्य में बदल दिया, जिसकी कीमत सैकड़ों करोड़ युआन तक पहुंच गई.

जुलाई 2025 में उन पर फंड के गबन और कई महिलाओं से अवैध संबंध रखकर बच्चों के पिता बनने का आरोप लगा. दो हफ्तों के भीतर उन्हें उनके पद से हटा दिया गया और भिक्षु पद से भी वंचित कर दिया गया.

गौरतलब है कि 2015 में शाओलिन मंदिर तब विवादों में आया था जब यहां करीब 300 मिलियन डॉलर की लागत से एक मंदिर परिसर बनाने का प्रस्ताव सामने आया, जिसमें गोल्फ कोर्स, होटल और कुंग-फू स्कूल शामिल था. उसी साल बीबीसी को दिए एक इंटरव्यू में योंगशिन ने भ्रष्टाचार और महिलाओं से संबंधों के आरोपों से इंकार किया था.

अन्य भिक्षु भी कटघरे में

शी योंगशिन अकेले ऐसे भिक्षु नहीं हैं जिन पर मंदिर की संपत्ति का दुरुपयोग करने का आरोप लगा हो. हाल ही में हांगझोउ स्थित लिंगयिन मंदिर के भिक्षुओं का एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें वे बड़ी मात्रा में नकदी गिनते हुए नजर आए.

इसी तरह जुलाई में भिक्षु वू बिंग पर भी जांच बैठाई गई. उन पर आरोप है कि उन्होंने गरीब महिलाओं और बच्चों की मदद के नाम पर चंदा लिया और उस पैसे को अपने निजी विलासिता पर खर्च किया.

सरकार का सख्त रुख

इन मामलों के बाद चीन सरकार धार्मिक संस्थाओं पर नियंत्रण को और कड़ा कर रही है. सरकार का कहना है कि मंदिर और मठ श्रद्धा व सेवा के केंद्र होने चाहिए, न कि निजी लाभ का माध्यम.

यह कार्रवाई न सिर्फ मंदिरों की विश्वसनीयता बहाल करने की कोशिश है, बल्कि उस बढ़ती मंदिर अर्थव्यवस्था पर भी नकेल कसने की दिशा में है, जहां आस्था के नाम पर अरबों का कारोबार चल रहा है.

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